सफेद मूसली के लाभ Things To Know Before You Buy



मूसली मूलत- एक कंदरुपी पौधा है जो कि हमारे देश के जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगता है। स्वभाव से भी यह एक हार्डी पौधा है जिसकी विधिवत् खेती काफी सफल है। इसकी खेती से संबंधित किये गए सफल प्रयोगों के आधार पर इसकी खेती के लिए विकसित की गई बायोवेद कृषि तकनीक वर्तमान में काफी लाभदायक सिद्ध हुई है।

सफेद मूसली की गांठ वाली जड़ें और बीजों का इस्तेमाल औषधि के रुप में सबसे ज्यादा किया जाता है। आमतौर पर सफेद मूसली का उपयोग सेक्स संबंधी समस्याओं के लिए अधिक होता है लेकिन इसके अलावा सफेद मूसली का इस्तेमाल आर्थराइटिस, कैंसर, मधुमेह (डायबिटीज),नपुंसकता आदि रोगों के इलाज में और शारीरिक कमजोरी दूर करने में भी प्रमुखता से किया जाता है। कमजोरी दूर करने की यह सबसे प्रचलित आयुर्वेदिक औषधि है। जानवरों पर किये एक शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं साथ ही यह सेक्स संबंधी गतिविधि को बढ़ाती है और टेस्टोस्टेरोन जैसे प्रभाव वाले सेक्स हार्मोन का स्तर बढ़ाती है।

सफेद मूसली उपयोगी औषधीय पौधों में से एक हैं, जो हजारों सालों से मनुष्यों के लिए वर्दान बनी हुई है। इसका उपयोग कई बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है और चिकित्सा प्रणाली में भी इसका काफी उपयोग किया जाता है। मुख्य रूप से ये बांझपन, यौन विकार, शुक्राणु की कमी, आदि बीमारियों के लिए प्रयोग की जाती है। साथ ही ये स्त्रियों में मासिक धर्म चक्र को नियमित करने में भी मदद करती है।

कुछ लोगों की पाचन क्षमता कमजोर होती है। वह इसको कम मात्रा में ले सकते है और भूख बढ़ाने के लिए यकृत पर कार्यों करने वाली और भूख बढ़ाने वाली दवाओं के साथ इसका प्रयोग कर सकते है। ऐसे मरीजो में सफेद मूसली १ ग्राम दुध के साथ सुबह और शाम और त्रिकुट २५० मिलीग्राम सुबह और शाम शहद के साथ लिया जा सकता है।

सफेद मूसली एक अति महत्वपूर्ण है। औषधि के रूप में सफेद मुसली का कंद प्रयोग किया जाता है। यह एक ऐसी जड़ी-बूटी मानी

लेकिन डायबिटीज के मरीजों के लिए सफेद चावल को जहर माना गया है, क्योंकि ये शुगर का लेवल बढ़ा सकता है.

इसके शुक्राणुजनित गुणों और टेस्टोस्टेरोन के स्तर में वृद्धि के कारण रक्त परिसंचरण में सुधार के कारण समग्र यौन स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिलती हैं जैसे कि निम्नलिखित।

सफेद मूसली की १५ ग्राम जड़ों को दूध में उबालकर पिएं।

स्रोत- बिहार राज्य बागवानी मिशन, बिहार सरकार

अस्वीकरण: इस वेबसाइट पर दी गई सूचना का उद्देश्य किसी भी बीमारी का निदान, रोकना, उपचार या इलाज करना नहीं है। कृपया चिकित्सक से परामर्श करें। अधिक पढ़ें।

किसी औषधि के फायदे हैं तो उसके नुकसान भी हो सकते हैं। इसलिए सफेद मूसली का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। डॉक्टर से मशवरा लिए बिना सफेद मूसली का सेवन करना हानिकारक साबित हो सकता है। इससे पाचन तंत्र पर प्रभाव पड़ता है, कब्ज की परेशानी होती है, भूख मरने लगती है। इसकी तासीर ठंडी होती है इसलिए यह कफ परेशानी को बढ़ा सकता है। साथ ही इसके कारण त्वचा संबंधी समस्या भी हो सकती है।

आगामी फसल हेतु मूसली के बीज का संग्रहण कैसे get more info किया जाए ?

मूसली की फसल से होने वाले उत्पादन की मात्रा

दस्त लगने पर सफ़ेद मूसली की जड़ के चूर्ण २ से ४ ग्राम लें, इसे दूध में मिलाकर पिएं। इसका सेवन करने से दस्त, भूख की कमी, पेचिश में लाभ मिलता है।

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